Tuesday, September 26, 2023
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सरकार के फैसले से परेशान है Indira Gandhi University, विकास कार्य रुके, स्टाफ के द्वारा किया जा रहा है विरोध

Indira Gandhi University Mirpur : वर्तमान में हरियाणा की सरकार के द्वारा जैसे एक तरह से आत्मनिर्भर अभियान चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत सरकार के द्वारा फंड प्राप्त करने वाले कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाई जा रहे हैं जिनमें से एक यूनिवर्सिटीज भी है। काफी सारी यूनिवर्सिटीज को सरकार ने आत्मनिर्भर बनने के लिए कहा है जिसके चलते यूनिवर्सिटीज में कई समस्या देखने को मिल रही है। विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर सरकार ने इनके फंड रोक दिए हैं और निर्देश दिए हैं कि अब फंड के लिए सरकार पर निर्भर ना रहें बल्कि अपने संसाधनों से आय बढ़ाए है जिससे कई यूनिवर्सिटीज के साथ IGU को भी काफी समस्याए आ रही है।

रेवाड़ी जिले के मीरपुर में मौजूद लोकप्रिय इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी के लिए भी सरकार का यूनिवर्सिटीज को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला दिनभर सेटिंग को गर्त में धकेलने जैसा साबित हुआ है। बताया जा रहा है कि एक दशक से सरकार यहां पर्याप्त क्षमता के हॉस्टल और ब्लॉक नहीं बना पाए और यदि अब ग्रांट जारी नहीं हुआ तो वर्तमान में चल रहे यह प्रोजेक्ट कभी पूरे नहीं हो पाएंगे। बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी वर्तमान समय में इतनी आय नहीं कर पा रही थी वह निर्माण संबंधित कार्य कर सके क्योंकि यूनिवर्सिटी में आने वाली आय मुख्य रूप से स्टाफ को सैलरी देने और अन्य खर्चों में ही निकल जाती है।

फ़ीस से 32 करोड़ आय, सैलरी व अन्य खर्चो के लिए भी कम

इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी सरकार के यूनिवर्सिटीज को आत्मनिर्भर बनाने के फैसले के बाद गंभीर समस्या में फंस चुकी है कि यूनिवर्सिटी की वर्तमान समय में आए विभिन्न पदों से आने वाली चीज है जो करीब 32 करोड़ सालाना है जबकि स्टाफ के वेतन पर ही 1 साल में यूनिवर्सिटी के द्वारा 23 करोड़ खर्च किए जाते हैं और साथ ही बचे हुए 9 करोड़पति विश्वविद्यालय के अन्य खर्चो चले जाते हैं और बताया जा रहा है कि यह अन्य खर्चे भी काफी मुश्किल से वहन हो पाते है अर्थात 9 करोड़ रूपये इन खर्चो के लिए कम पड़ते है। ऐसे मे अगर फंड रुके तो निर्माण कार्य भी रुक जाएगा।

चालू प्रोजेक्ट पर पूरा पैसा लगाने के बाद भी कम पड़ेंगे 78 करोड़

साल 2013 के सितंबर में विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद ही इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी को उपेक्षित रखा गया है और यहां अभी तक आधारभूत संरचना के लिए भी जूझना पड़ रहा है। वर्तमान हालत यह है कि विश्वविद्यालय होते हुए भी कॉलेज जैसी खेल सुविधा नहीं है और ना ही छात्रावास की पर्याप्त सुविधा मौजूद है। ऐसे में इन सुविधाओं के लिए काम शुरू हो चुका था और नए भवन का कार्य भी चल रहा था। इन तमाम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी के द्वारा राज्य सरकार को पहले की मांग के लिए ₹157 की डिमांड भेजी गई थी जिसके द्वारा यूनिवर्सिटी इन प्रोजेक्ट को पूरा करती।

बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के खाते में वर्तमान में केवल 79 करोड़ रुपए है तो ऐसे में अगर पूरा पैसा भी विश्वविद्यालय लगा दे तो भी यह प्रोजेक्ट 50% ही पूरा होगा और करीब करीब 78 करोड रुपए कम पड़ेंगे। स्टाफ को देने के लिए विशेष राशि नहीं रहेगी और अन्य काफी सारे कार्यों में भी समस्या आएगी। यही कारण है कि यूनिवर्सिटी को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला कई अन्य यूनिवर्सिटीज के साथ इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी के लिए भी काफी बुरा साबित हो रहा है। इस फैसले का काफी विरोध भी किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि यह फैसला छात्रों की भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

4 वर्षों में कितनी ग्रांट मिली आईजीयू को

अगर बात की जाए पिछले 4 वर्षों में इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी को कितनी ग्रांट मिली तो साल 2020-21 में स्वीकृत ग्रांट 20 करोड़ रुपये की थी जिसमें से केवल 6 करोड़ 60 लाख रूपये ही यूनिवर्सिटी को मिले थे। चल 2021-22 में ₹150000000 की ग्रांट स्वीकृत हुई थी और यह यूनिवर्सिटी को मिल गई थी। साल 2022-23 में 18 करोड़ रूपये की ग्रांट स्वीकृत हुई थी जो यूनिवर्सिटी को मिल गयी थी। वही अगर इस साल की बात की जाए तो साल 2023-24 में अभी तक विश्वविद्यालय को केवल 9 करोड़ रूपये ही मिल पाए है। अगर फंड रोके गए तो यूनिवर्सिटी को काफी समस्या आएगी।

14 जून को कलम छोड़ हड़ताल पर बैठेगा यूनिवर्सिटी का स्टाफ

इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी का गैर शिक्षण कर्मचारी संघ सरकार के द्वारा ग्रंथ नहीं देने के फैसले का काफी विरोध कर रहा है और लगातार इस फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जता रहा है। ऑल हरियाणा यूनिवर्सिटी एंप्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर संघ की ओर से 14 जून को कलम छोड़ हड़ताल का आयोजन किया गया है जिसमें संघ के द्वारा सरकार के यूनिवर्सिटीज को आत्मनिर्भर बनाने के फैसले का विरोध किया जाएगा। विश्वविद्यालय को इसकी सूचना दी गई है और विश्व विद्यालय की तरफ से काफी सारे लोग विरोध में शामिल होकर सरकार के इस फैसले के लिए नाराजगी जताने वाले हैं।

सरकार की तरफ से दिया जा रहा है यह तर्क

हरियाणा की राज्य सरकार की तरफ से 29 मई को सभी यूनिवर्सिटीज को एक पत्र जारी किया गया जिसमें उन्हें आत्मनिर्भर बनने का संकेत दिया गया। मैंने कहा गया कि वह धन के लिए सरकार पर निर्भरता कम करें और आत्मनिर्भर बने। सरकार का कहना है कि को पूर्व छात्र और सीएसआर से धन जुटाना चाहिए और वही प्रयुक्त भूमि के वाणिज्यिक उपयोग, अनुसंधान अनुदान, पेटेंट, ऑनलाइन शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा के साथ उद्योग अकादमिक सहयोग के द्वारा यूनिवर्सिटीज को अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए अर्थात विश्वविद्यालय के आंतरिक संसाधनों से राजस्व उत्पन्न करना चाहिए।

सरकार की तरफ से IGU को है यह समस्या

सरकार के द्वारा यूनिवर्सिटी को आत्मनिर्भर बनने के लिए जो तर्क दिए गए हैं उनसे आईजीयू को काफी समस्या है पर कहा जा रहा है कि तर्क और असलियत में काफी अंतर है। दरअसल नैक ग्रेड ना होने से अभी तक यूनिवर्सिटी की दूरस्थ शिक्षा शुरू नहीं हो पाई है और वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण अंचल में बनी यूनिवर्सिटी के जमीन पर कमर्शियल गतिविधि भी संभव नहीं है तो ऐसे में वहां से राजस्व मिलने की भी कोई संभावना नहीं है। यही कारण है कि सरकार के द्वारा दिया जा रहा है तर्क इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर के लिए इतना सटीक नहीं बैठ रहा और यूनिवर्सिटी के स्टाफ के द्वारा लगातार फैसले का विरोध किया जा रहा है।

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