हरियाणा सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल, जिसका मकसद किसानों को उनके हानि की नुकसान की मूल्यांकन के बाद मुआवजा प्राप्त करने में मदद करना है, के विस्तारित संस्करण का शुभारंभ किया है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2 अगस्त को ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ वेबसाइट के माध्यम से किया। इस पोर्टल के माध्यम से, किसानों को हानि के मामले में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री खट्टर ने इस मौके पर घोषणा की कि किसानों को अब अचल संपत्ति के नुकसान के लिए रुपये 25 लाख तक और होने वाले हनि के लिए रुपये 50 लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा। यह धन सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा किया जाएगा, जिससे उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी।
यह नया पोर्टल किसानों के लिए बड़ी राहत हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की जटिल प्रक्रिया और इंटरनेट के सहज पहुंच की कमी के कारण कई किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मुआवजे के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया किसानों के लिए जटिल है। पहले, किसानों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर जाना होगा, जहां पर उन्हें अपना खाता बनाना होगा। उन्हें अपनी व्यक्तिगत और कृषि संपत्ति की जानकारी प्रदान करनी होगी, जैसे कि ज़मीन की जानकारी, फसल की प्रकृति, और खत का विवरण।
इसके बाद, उन्हें अपने कृषि हानि की प्रमाणित सूचना भी प्रदान करनी होगी, जैसे कि तस्वीरें, वीडियो, या राजस्व रिकॉर्ड्स। यह बड़ी चुनौती हो सकती है क्योंकि बहुत से किसान ऐसे सबूत प्रदान करने में अच्छे नहीं हैं या वे इंटरनेट पर काम करने के लिए पर्याप्त सामरगी नहीं रखते।
इसके बावजूद, किसानों को अपने आवेदनों की सत्यापन और मंजूरी का इंतजार है, जिसमें काफी समय लग सकता है या यह भ्रष्टाचार या लापरवाही का शिकार भी हो सकता है। कई कारणों के चलते वे यह भी सामना कर रहे हैं कि उन्हें वादा की गई राशि से कम मिल सकता है या सार्वजनिक निगरानी, ब्यूरोक्रेटिक कठिनाइयों या राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण यह संभावना है कि वे प्रदान की गई राशि से वंचित रह सकते हैं।
सरकार के नवीनतम डेटा के अनुसार, राज्य भर के 47 किसानों ने आवश्यक जानकारी अपलोड की है और इनमें से केवल 40 को मुआवजा प्राप्त हुआ है। जब हमने इस संदर्भ में बैंक के कर्मचारियों या संबंधित सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया, तो वे समस्याओं के संबंध में बात करने के लिए तैयार नहीं थे।
किसानों का कहना है कि पोर्टल बहुत ही धीमा है और यह काफी बार क्रैश हो जाता है। कई दस्तावेज़ और ज़मीन और फसल की हानि से संबंधित सबूतों को अपलोड करने पड़े, जिसके लिए बहुत से किसान योग्य नहीं हैं। आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने में कई दिन लग गए हैं, लेकिन उन्हें अब तक किसी प्राधिकृतिक या स्थिति अपडेट का सुचना नहीं मिला है।
किसानों का कहना है कि उन्हें अधिकारियों से कोई जवाब नहीं मिला है और वे यह भी नहीं जानते कि क्या उन्हें मुआवजा मिलेगा या नहीं। लेकिन वे अपने हक के लिए लड़ेंगे, चाहे इसका मतलब हो कि उन्हें अपना जीवन देना पड़े।
हरियाणा के किसानों के लिए यह मुआवजा पोर्टल एक महत्वपूर्ण और आवश्यक उपाय है, लेकिन सरकार को इसकी प्रक्रिया को और स्थानीय किसानों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। विभिन्न कठिनाइयों को दूर करने के साथ, सरकार को किसानों के मुआवजे को समय पर प्रदान करने के लिए भी सुनिश्चित करना होगा, ताकि वे अपनी कृषि संपत्ति की हानि को बढ़ावा न दें और उनका वित्तीय दुखन सही समय पर सुलझा सकें।
साथ ही, इंटरनेट की उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार को नवाचारी तरीकों से किसानों को शिक्षा और प्रशिक्षण देने की भी आवश्यकता है, ताकि वे आसानी से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल का उपयोग कर सकें।
सरकार को इस मुआवजा प्रक्रिया को और उपयोगकर्ता-मित्री बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हरियाणा के किसान अपने हक को प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की मुश्किलात का सामना न करें।
अधिकारियों को भी सशक्तिकरण करने के लिए उन्हें समय पर आवश्यक संसाधनों की प्रदान करनी चाहिए ताकि वे किसानों के मुआवजे के आवेदनों को समय पर प्रस्तुत कर सकें और किसानों की उम्मीदों को पूरा कर सकें।
इस मामले में, सरकार को निगरानी बढ़ाने और समस्याओं को हल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हरियाणा के किसानों को उनके कठिनाइयों को पार करने में मदद मिल सके, और वे सुरक्षित मानसिकता के साथ अपनी खेती का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।